फरवरी का महिना पपीते की खेती करने वाले किसनों के लिए बेहद जरूरी हो सकता है. जिस वजह से इस समय पपीते पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. अगर ध्यान नहीं दिया तो दूसरी खतरनाक बीमारियां फलों के लगने से पहले ही बर्बाद कर देंगी.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक पपीते कुछ खास विधि से करेंगे तो इससे अच्छी पैदावार मिल सकती है. जो किसान अक्टूबर में पपीते की खेती करते हैं, उनके पौधा का विकास सर्दियों की वजह से धीमा हो जाता है. जिस वजह से निराई और गुड़ाई की ज्यादा जरूरत होती है. जिसके बाद प्रति पौधे में लगभग 100 ग्राम यूरिया, 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्टेट, 50 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का इस्तेमाल पौधे के तने से करीब एक से डेढ़ फीट की रूडी पर गोला बना क्र करना चाहिए. इसके बाद जरूरत के हिसाब से हल्की हल्की सिंचाई करते रहें.
पपीते के पौधे के पास बनाया गया पपीता रिंग में नीम का का तेल 2 फीसद करीब आधे लीटर स्टीकर में मिलाकर एक एक महीने के अंतराल में करीब 8 महीनों तक स्प्रे करते रहें.
ऐसे करें इलाज, नहीं होगा नुकसान
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि, हाई क्वालिटी के फल और पपीतों के पौधों में रोगों से लड़ने के गुण होने जरूरी हैं. इन गुणों को बढ़ाने के लिए दस ग्राम यूरिया के साथ पांच ग्राम जिंक सल्फेट और पांच ग्राम बोरान को प्रति लीटर पानी के हिसाब से अच्छे से घोलकर एक एक महीने के गैप में स्प्रे करें. ऐसा आपको अगले आठ महीने तक करना होगा. इस बात का ध्यान रखें कि, जिंक सल्फेट और बोरोन एक साथ ना घोलें. इन्हें अलग-अलग ही घोलें. क्योंकि ये जमने लगते हैं.
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फरवरी का महीना सबसे जरूरी
जड़ गलन अब तक की पपीते में लगने वाली सबसे भयानक बीमारियों में से एक है. इससे निपटने के लिए जरूरी है कि, हेक्साकोनाजोल की लगभग दो मिली दवा को प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोलकर एक एक महीने के गैप में मिट्टी में खूब अच्छी तरह से डालें. ताकि मिट्टी अच्छी तरह से भींग जाए. आपका ऐसा आठ महीनों तक करते रहना है. इसका मतलब इस घोल से मिट्टी को लगातार भिगोते रहना है. अगर आपके पपीते का पौधा बड़ा है तो उसके लिए लगभग पांच से छह लीटर दवा के घोल को डालने की जरूरत होती है.
पपीते लगाने का सबसे अच्छा समय मार्च से लेकर अप्रैल तक का होता है. इसलिए फरवरी के महीने में पपीते की नर्सरी लगाने की सलाह दी जाती है.
चेरिया बरियारपुर प्रखंड स्थित बढ़कुरवा के निवासी हैं। जानकारी के लिए बतादें कि किसान नीरज पपीते की खेती के जरिए सालाना 6 लाख रूपए की आमदनी कर रहे हैं। विशेष बात यह है, कि किसान नीरज सिंह को एक न्यूज चैनल पर प्रसारित एक खास कार्यक्रम से पपीते की खेती करने के लिए प्रेरित हुए। उसके पश्चात उन्होंने पपीते की खेती चालू कर दी। फिलहाल, उन्होंने 2 एकड़ भूमि के रकबे पर पपीते की खेती कर रखी है। विशेष बात यह है, कि पपीते के खेती के लिए नीरज को उद्यान विभाग से भी बेहद सहायता मिली और इसकी खेती आरंभ करने हेतु पौधें भी मुहैय्या कराए गए। वह एक पपीते के पौधे से 50 किलोग्राम तक पपीता की पैदावार कर रहे हैं।
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पपीते की खेती से एक एकड़ में कितना मुनाफा होगा
मुख्य बात यह है, कि नीरज सिंह ने अपने बाग में रेड लेडी किस्म के पपीते को लगाया है। नीरज ने बताया है, कि वह कुछ पोधों से 100 किलो तक पपीता तोड़ रहे हैं। उनके बाग के अंदर 10 महिलाएं प्रतिदिन कार्य करती हैं। अब ऐसी स्थिति में उन्होंने 10 लोगों को रोजगार भी दे रखा है। किसान नीरज सिंह का कहना है, कि वह रेड लेडी किस्म के पपीते की दो एकड़ भूमि में खेती कर रहे हैं। एक वर्ष में पपीते की फसल तैयार हो जाती है। वह प्रति वर्ष 10 लाख रुपये के पपीते बेचते हैं। बतादें, कि 4 लाख रुपये की लागत को हटाकर वह 6 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा उठाते हैं।
पपीते की खेती के लिए 45 हजार तक अनुदान
उन्होंने बताया है, कि किसानों को परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी भी करनी चाहिए। विशेष कर पपीते की खेती अवश्य करनी चाहिए। क्योंकि, इसमें दोगुना से भी ज्यादा मुनाफा होता है। यदि आप एक एकड़ में पपीते की खेती करते हैं, तो 2 लाख रुपये की लागत आ जाएगी। साथ ही, सरकार की ओर से प्रति एकड़ 45 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। इस प्रकार बेगूसराय जनपद के अन्य किसानों के लिए भी पपीते की खेती करने का अच्छा अवसर है।